١ - من كان يريد الحياة الدنيا وزينتها نوف إليهم أعمالهم فيها ١١: ١٥.
٢ - من كان يريد حرث الآخرة نزد له في حرثه ٤٢: ١٠.
٣ - ومن كان يريد حرث الدنيا نؤته منها ٤٢: ١٠.
وفي المواضع الثلاثة أداة الشرط (من) ولم يجيء مع غيرها.
وحذف الجواب مع (إن) التي شرطها ماض بلفظ (كان) هو أكثر أحوالها في القرآن.
حذف الجواب في: ٢: ٣٢، ٣١، ٩١، ٩٤، ١١١، ١٧٢، ١٨٤، ٢: ٢٢٨، ٢٤٨، ٢٧٨، ٢٨٠، ٣: ٤٩، ٩٣، ١١٨، ١٣٩، ١٦٨، ١٧٥، ١٨٣، ٤: ٥٩، ١٠٢، ٥: ٢٣، ٥٧، ١١٢، ١١٦، ٦: ٤٠، ٨١، ١١٨، ١٤٣، ٧: ٧٠، ٧٧، ٨٥، ١٠٦، ١١٣، ١٩٤، ٨: ١، ٩: ١٢، ٤١، ٦٢، ١٠: ٣٨، ٤٨، ٨٤، ١١: ١٣، ٢٨، ٣٢، ٣٤، ٨٨، ١٢: ١٠، ٤٣، ٧٤، ١٥: ٧، ٧١، ١٦: ٤٣، ٩٥، ١١٤، ١٩: ١٨، ٢١: ٧، ١٧، ٣٨، ٦٣، ٦٨، ٢٣: ٤٨، ٨٨، ٢٤: ٢، ٩: ٧، ١٧، ٢٦، ٢٩: ٣٢: ٢٨، ٣٤: ٢٩، ٣٦: ٤٨، ٣٧: ١٥٧، ٤١: ٣٧، ٤٤: ٧، ٤٥: ٢٥، ٤٦: ٤، ١٠، ٢٢، ٤٩: ١٧، ٥٢: ٢٤، ٥٦: ٨٦، ٨٧، ٥٧: ٨، ٦٠: ١، ١١، ٦٢: ٦، ٦٧: ٢٥، ٦٨: ٢٢، ٤١، ٩٦: ١١.
وذكرت جواب (إن) التي شرطها ماض بلفظ (كان) وكان الجواب جملة مقرونة بالفاء في: ٢: ٩٤، ٣: ٣١، ٤: ١١، ٧: ١٠٦، ٨: ٣٢، ٩: ٢٤، ١٠: ٧١، ٨٤، ١٠٤، ١١: ٦٣، ١٢: ٢٦، ٢٢: ٥، ٣٣: ٢٨، ٤٣: ٨١، ٥٦: ٨٨، ٩٠: ٩٢.
كذلك ذكر جواب (فإن) في جميع المواضع، وكان الجواب جملة مقرونة بالفاء إلا في موضع واحد فقد خلا من الفاء، وهو قوله تعالى:
فإن كان لكم فتح من الله قالوا ألم نكن معكم ٤: ١٤١.
وبقية المواضع هي: ٢: ٢٨٢، ٤: ١١، ١٢، ٩٢، ١٧٦، ٧٧: ٢٩.
وكذلك ذكر الجواب مع (إن) في جميع المواضع، وكان الجواب جملة مقرونة بالفاء إلا في موضعين، هما: